Tuesday, May 26, 2015

UT-DEL-HMU-NEW-country-will-also-river-buses


नई दिल्ली। ट्रैफिक को सड़कों से पानी में उतारने की तैयारी है। ताकि बड़े महानगरों और मझोले-छोटे शहरों को ट्रैफिक जाम से निजात मिल सके। नदियों, झीलों और नहरों वाले शहरों में ट्रैफिक जलमार्ग पर डाइवर्ट करने की योजना पर काम शुरू हो चुका है। योजना के मुताबिक अगले साल तक दिल्ली से आगरा के बीच यमुना में रिवर बस चलने लगेंगी।इनलैंड वाटरवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने काम शुरू कर दिया है।
ब्रिटेन की कंपनी से 70 होवरक्राफ्ट खरीदने की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। रक्षा मंत्रालय, गोवा शिपयार्ड औपचारिकताएं पूरी कर रहे हैं। नदियों, झीलों, समुद्र, नहरों पर बैराज और वाटर टर्मिनल बनाने के लिए नीदरलैंड सरकार तकनीकी सहयोग देने को राजी हो गई है। अब अगले तीन महीने में 101 नदियों, नहरों, झीलों और बैकवाटर को ट्रैफिक के लिए नोटिफाई किया जा सकता है। सड़क परिवहन और जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी ने दावा किया है ये योजनाएं कागजी नहीं हैं। दो साल में लोग इनसे वैसे ही वाकिफ हो जाएंगे जैसे आज मेट्रो से हैं।
7 राज्यों में बनेंगे जलमार्ग, 4200 करोड़ रुपए सालभर में होंगे खर्च
जलमार्ग ट्रैफिक के लिए उत्तर प्रदेश, केरल, असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, बिहार और महाराष्ट्र सरकार ने सहमति दे दी है। दूसरे राज्यों से भी बातचीत जारी है। वाटरवेज अथॉरिटी को जलमार्ग विकसित करने के लिए इस साल 4200 करोड़ रुपए दिए गए हैं।
सड़क से तीन गुना सस्ता जलमार्ग
* जलमार्ग से परिवहन का खर्च प्रति किलोमीटर 50 पैसे आता है। जबकि ट्रेन से एक रुपया और सड़क से 1.50 रुपए खर्च आता है।
* शहरों में लिंक रोड सड़कों की जगह नदियों तक आएंगे। नदियों में रिवर बसें चलेंगी। एयरपोर्ट के लिए हेलीकॉप्टर जैसे सी-प्लेन चलाए जाएंगे। इसका किराया लग्जरी टैक्सी जितना होगा।
ध्यान रखना होगा कि रूट पर जरूरी मात्रा में पानी रहे। बारिश में नदियों में आने वाले गाद की सफाई भी जरूरी है- प्रो. नारायण रंगराजन, आईआईटी मुंबई के प्रोफेसर
देश में नदियों-झीलों को पार करने के लिए वाटर मोटरों का इस्तेमाल पहले भी होता रहा है। इसलिए यह काम मुश्किल नहीं - जी.रघुराम, आईआईएम अहमदाबाद के प्रोफेसर